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Thursday 21 July 2011

अरिदमन होने का अर्थ

    अपना ब्लॉग शुरू किया तो सोचा, क्या नाम दिया जाए। ऐसा नाम जो अर्थपूर्ण हो। फिर खुद का नाम जेहन में उठा। अरिदमन! मुझे पिता ने यही नाम दिया। यह नाम दो शब्दों 'अरिÓ और 'दमनÓ को लेकर  बना है।  अरि का अर्थ  है दुश्मन, और दमन का मतलब नाश। इस प्रकार यह दुश्मन का नाश करने का संदेश देने वाला नाम पहले मेरे लिए इतना अर्थपूर्ण नहीं था। लेकिन अब इसके मायने मैं भले से समझने लगा हूं। 
    जानता हूं कि देश के दुश्मनों (चाहे वे किसी भी रूप में हों) का नाश करने का जुनून पालने वाले को अब पागल का नाम दिया जाता है। वर्तमान में खाओ और खाने दो की रिवायत है। व्यवस्था ही ऐसी बन चुकी है। सवा करोड़ की जनसंख्या वाले देश भारत में मैं अदना इंसान भी इसी व्यवस्था का हिस्सा बन चुका हूं। केवल मैं ही नहीं, मुझ जैसे कई अरिदमन दिल में व्यवस्था की जर्जरता पर आंसू बहाते इसे बदलने की सोच पाले हुए हैं।
    देश का दुश्मन एक नहीं है। भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, आतंकवाद और न जाने ऐसे कितने ही अरि हैं देश के जिनका दमन किया जाना जरूरी है। लेकिन देश को पूर्ण रूप से इन दुश्मनों से मुक्त कर पाना संभव ही नहीं है। और यह कड़वा सच मेरे खयाल से हर किसी को अपना लेना चाहिए। परंतु, हम इसे कम चाहे न कर पाएं, बढऩे से तो रोक ही सकते हैं। नई पीढ़ी बहुत ही सूझवान है, बलवान है। इच्छाशक्ति की कमी नहीं है, यह सबसे बड़ी बात है। युवाओं का खून देश की दुर्दशा देख खौलता है, ऐसे अनेक उदाहरण हम हाल ही में देख चुके हैं। भगत सिंह ने न जाने किससे प्रेरणा ली, लेकिन अब के युवाओं के पास तो प्रेरक बहुत हैं। हमें जंग की जरूरत भी नहीं है। इंकलाब लाना है और इसके लिए हमें सिर्फ अपना काम ईमानदारी से करते जाना है। अरिदमन नामक यह ब्लॉग देश के दुश्मनों के खिलाफ किसी को लामबंद कर पाएगा या नहीं, परंतु यह जरूर दावा करता है कि इंकलाब जरूर आएगा, चाहे वह मिस्र की भांति आए या युवाओं के चुपचाप इस व्यवस्था से किनारा कर बदलाव की ओर बढऩे फैसले से।
-अरिदमन

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