वीरेंद्र भाटिया
नगरपार्षद रमेश मेहता से कल मुलाकात हुई। 3000 गायों को रोहतक के पास एक विशाल गऊशाला में भेजने के निर्णय पर मैंने उन्हें बधाई दी। तो उन्होंने जानकारियों का पिटारा खोल दिया। सिरसा में तकरीबन 3000 गायें खुले आम घूमती हैं जिनमें 90 प्रतिशत संाड हैं। और लगभग सभी सांड विशालकाय अमेरिकन खतरनाक सांड हैं जो नित्य दिन किसी न किसी दुर्घटना का कारण बनते रहते हैं। बच्चों को सींग मार देना, रेहड़ी से सब्जी या फल उठा लेना, किसी बाईक सवार से टकरा जाना, बड़ी गाडिय़ों से टकराकर स्वयं लहूलुहान हो जाना और तथाकथित गौभक्तों की इलाज के लिए बाट जोहना इन गायों, सांडों की नियति है। और उन पीडि़तों की भी यही नियति है कि गाय को मारेंगे तो गौभक्त अपनी राजनीति चमकाने के लिए आ धमकते हैं और समस्या जस की तस बनी रहती है।लेकिन इस बार गौभक्तों ने राजनीति से आगे बढ़कर सच में नाम कमाने वाला कारनामा कर दिखाया है। 3000 गायों को रोहतक के पास स्थित गऊशाला में भेजा जाना है। प्रति गाय 1000 रुपये का भुगतान उस गऊशाला को किया जाना है जिसके एवज में वह गऊशाला उन गायों की ताउम्र की जिम्मेदारी लेगी। रोहतक वाली गऊशाला 73 एकड़ में फैली है जिसमें 22 एकड़ एरिया गायों के विभिन्न शैड व अन्य सुविधाओं के लिए कवर्ड है। तकरीबन 60 टन चारा रिजर्व पड़ा है और गेहूं व चना मिश्रित चारा ही सभी पशुओं को दिया जाता है। पांच लाख रुपये पेशगी जमा करवा दिए गए हैं और प्रतिदिन 40 गायों का बहिर्गमन हो रहा है।
कुछ गायें वे भी हैं जो दुधारू हैं लेकिन उनके स्वामी उन्हें दूध दुहने के बाद गलियों मे छोड़ देते हैं। गोभक्त उन गायों को भी रोहतक छोड़ आने के लिए स्वतंत्र हैं। इस डर से उन स्वामियों ने अपनी अपनी गायें अपने घरों में बांध ली हैं।
30 लाख रुपये का एकत्रण कैसे किया जा रहा है यह भी जानना दिलचस्प है। स्वयं उपायुक्त, पुलिस कप्तान और उपमंडलाधीश ने इस कार्य में दिलचस्पी ली है और अपने अधीनस्थ कर्मचारियों का एक दिन का वेतन इस कार्य के लिए दान में देने का फैसला लिया है। नगर के तमाम दानी सज्जन अपना अपना योगदान दे रहे हैं और मंत्री के भाई गोबिंद कांडा इस मुहिम का नेतृत्व कर रहे हैं इसलिए विभिन्न वर्गों को इस बड़े अभियान में प्रभाव में लेना आसान हो जाता है।
गायें सिरसा में आई कहां से? सभी को मालूम है कि राजस्थान के लोग कंडम पशुओं को सिरसा की हद में ट्रालियों में भर कर छोड़ जाते है। प्रश्न यह भी है कि क्या राजस्थान से और गायें सिरसा की हद में नहीं धकेल दी जाएंगी या भविष्य में कोई ट्रक या ट्राली भर कर नहीं छोड़ जाएगा इसका क्या इलाज है? मेहता ने बताया कि पुलिस प्रशासन सिरसा में आने वाले चारों मार्गों पर नाका लगाएगा और दोषी व्यक्ति पर केस दर्ज किया जाएगा। लेकिन खेतों में नाके नहीं लगते और पशु सड़क मार्ग से कभी शहर में प्रवेश नहीं करते। फिर भी गौभक्तों का, जिला प्रशासन का और तमाम दानी लोगों का सहयोग सराहनीय है। जिला प्रशासन को गाय मुक्त सडकों और गायमुक्त गलियों से कितनी बड़ी राहत मिलने वाली है यह सहज ही जाना जा सकता है और इतनी ही बड़ी राहत शहर के लोगों को मिलने वाली है। गोभक्तों को पहली बार पूरा शहर एकमत हो सराह रहा है।
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